गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे


हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे,
हम खुद में कितना उतरे, हम खुद में कितना झांके,
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे..
हर बार यही लगता है, अब कुछ भी याद नहीं है,
हर बार गुमा होता है, कोई फैयाद नहीं है,
हर बार उम्मीदों वाली, सुबह आकार कहती है,
तुमसे बाहर आने में, अब कोई विवाद नहीं है,
पर कभी फूट पड़ती है, आँखों के सूखे जल में,
हर बार तुम्हारी कोमल, हर बार तुम्हारी शाखे,
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे.
हर बार हमी ने गाया दुनिया का दर्द कुवारा,
हर बार पिया है हस कर आसू का सागर सारा,
थक कर सोये है जब जब नींदों की हदबंदी में,
हर बार छलक जाता है आँखों से ख्वाब तुम्हारा,
मन पाखी ने जब चाहा इच्छा का अम्बर छूना,
हर बार उड़ाने उमड़ी हर बार कटी है पाखे,
हर बार तुम्हारा चेहरा हर बार तुम्हारी आंखे........
- डा ०  कुमार  विश्वास   

होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो....


शोहरत न अता करना मौला, दौलत न अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे, जन्नत न अता करना मौला,
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब, कुर्बान पतंगा हो.
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो......

बस एक सदा ही सुने सदा, बर्फीली मस्त हवाओ में,
बस एक दुआ ही उठे सदा, जलते तपते सहराओ में,
जीते जी इसका मान रखे, मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहे कभी न रहे मगर, इसकी सजधज आबाद रहे.
गोधरा न हो, गुजरात न हो इंसान न नंगा हो,
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो.......

गीता का ज्ञान सुने न सुने, इस धरती का यशगान सुने,
हम सबद-कीर्तन सुन न सके, भारत माँ का जयगान सुने,
परवरदिगार मैं तेरे द्वार पर ले पुकार ये कहता हूँ
चाहे अजान न सुने कान, पर जय-जय हिन्दुस्तान सुने
जन-मन में उत्छल देशप्रेम का जलधि तरंगा हो
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो.......
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो...............