बुधवार, 30 मई 2012

एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान....

(तर्ज- श्याम तेरी बन्सी पुकारे राधा नाम)

सुनो एक मालिक की हम दो सन्तान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

एक जाये गंगा मे डुबकी लगाये,
एक जाये मक्का से जमजम ले आये,
एक के है राम, दुजे के रहमान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

एक जाये माता को चुनरी ओढाये,
दुजा जाये बाबा को चादर चढाये,
एक के नवरात्रे, दुजे के रमजान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

एक जाये मस्जिद और दुजा शिवालै,
यहाँ सर झुकाले या वहाँ सर झुकाले,
एक का है गीता, दुजे का कुरान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

सुनो एक मालिक की हम दो सन्तान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान....

~रवीन्द्र कुमार शर्मा (लखनऊ)~

प्यार हो जाये तो क्या करे....

दिल पर नही होता काबू किसीका
दिल खो जाये तो क्या करे
धीमे से कोई जादू चल जाये
और प्यार हो जाये तो क्या करे..

हौले हौले मद्धम मद्धम
चाहतो के सिलसिले शुरु होते है
इस चाहत को जो कोई रोक ना पाये
और प्यार हो जाये तो क्या करे....

कहते है लोग कि प्यार ना करना
प्यार मे लोग दीवाने हो जाते है
लेकिन ये दीवानगी ही जो लुभाने लगे
और प्यार हो जाये तो क्या करे...

मदहोशी में दिल को पाया
और दवा ना कोई काम आयी
लेकिन मदहोशी को जो मन्जिल समझे
और प्यार हो जाये तो क्या करे...

दिल के दरवाजे बन्द किये है
कि दिल मे ना कोई बस जाये
लेकिन ये दिल ही जो ना रहे अपना
और प्यार हो जाये तो क्या करे...

समझे तो है बहुत कुछ समझना
लेकिन जज्बातों की है कहा वजह कोई
बेवजह जो कोई भाने लगे
और प्यार हो जाये तो क्या करे....

दुआ तो हम भी कर सकते है
कि प्यार नही करेगे हम
पर प्यार पर कहा चलता है जोर किसिका
जो प्यार हो जाये तो क्या करे....

चलिये, प्यार से बेखबर हो जाते है हम
प्यार नही हमें ये सोच लेते है हम
लेकिन गर प्यार बसा रहे इस दिल एत
तो इस प्यार का हम क्या करे....

भूलने को तो हम प्यार को भूल जाये
प्यार के साथ देखे हर ख्वाब को भूल जाये
लेकिन दिल पर कहा चलता है जोर किसीका
इस दिल का कहो हम क्या करे...

दिल पर नही चलता जोर किसीका
दिल खो गया हमारा अब हम क्या करे
धीमे से कोई जादू चल गया
और प्यार हो गया अब हम क्या करे.........?

बुधवार, 23 मई 2012

पगली लड़की



अमावास की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की प्याली रातों में गम आंसूं के संग होते हैं,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं,
जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं, सब सोते हैं, हम रोते हैं,
जब बार बार दोहराने से साड़ी यादें चुक जाती हैं,
जब ऊँच-नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती हैं,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है.

जब पोथे खली होते हैं, जब हर सवाली होते हैं,
जब ग़ज़लें रास नहीं आतीं, अफसाने गाली होते हैं.
जब बासी फीकी धुप समेटें दिन जल्दी ढल जाता है,
जब सूरज का लश्कर छत से गलियों में देर से जाता है,
जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट  जाती है,
जब कॉलेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है,
जब बेमन से खाना खाने पर माँ  गुस्सा हो जाती है,
जब लाख मन करने  पर भी पारो पढने आ जाती है,
जब अपना मनचाहा हर काम कोई लाचारी लगता है,

तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है....


जब कमरे मे सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है,
जब दर्पण मे आँखो के नीचे झॉई दिखाई देती है,
जब बडकी भाभी कहती है, कुछ सेहत का भी ध्यान करो
क्या लिखते हो दिनभर, कुछ सपनो का सम्मान करो,
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते है,
जब बाबा हमें बुलाते है, हम जाते है, घबराते है,
जब साडी पहने लडकी का एक फोटो लाया जाता है,
जब भाभी हमे मनाती है, फोटो दिखलाया जाता है,
जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है....


दीदी कहती है उस पगली लडकी की कुछ औकात नही,
उसके दिल मे भैया तेरे जैसे प्यारे जज्बात नही,
वो पगली लडकी नौ दिन मेरे खातिर भूखी रहती है,
छुप–छुप सारे व्रत करती है, पर मुझसे कभी ना कहती है,
जो पगली लडकी कहती है, मै प्यार तुम्ही से करती हूँ,
लेकिन हूँ मजबूर बहुत, अम्मा–बाबा से डरती हूँ,
उस पगली लडकी पर अपना कुछ अधिकार नही बाबा,
ये कथा–कहानी किस्से है, कुछ भी तो सार नही बाब,
बस उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है.

~ Dr. Kumar Vishwas ~

प्यार किसी से करती थी...!!

ख्वाबों की एक बस्ती थी
एक लडकी उसमें रहती थी...!!

अपने घर के आगन मे
कुछ सपने बोया करती थी...!!

अपने कमरे की खिडकी मे
बूँदों से खेला करती थी...!!

सबके सामने हसती थी और
चुप चुप के रोया करती थी...!!

चॉद को कही देर तक
वो अक्सर घूरा करती थी...!!

देखने वाली सब ऑखो को
कॉच की गुडिया लगती थीं...!!

टूट गयी तो सब ने जाना
वो पगली, प्यार किसी से करती थी...!!

तुम


मेरे दिल मे बसी एक हसरत हो तुम
मेरी ऑखों को मिली शरारत हो तुम,

देखूँ तुम्हे तो पालूँ मै ये दुनिया,
ना मिलो तो मिलने की बगावत हो तुम,

तुम्हारी खामोशी कह जाती है कई बातें
जिसे याद करता है दिल कई रातें,

तुम्हारे नन्हे नन्हे से हाथ और बडी बडी बातें
याद रह जाती है तुमसे हुई मुलाकातें,

उम्मीद हो हमारी आनेवाला कल हो तुम,
हमारे दिल मे बसी मोहब्बत हो तुम.....

शुक्रवार, 18 मई 2012

तुम साथ हो मेरे

तन्हा बैठा यूं सोचता हूँ मै, काश के तुम हो साथ मेरे,
दुनिया ये हसीन लगती है, जब भी तुम हो साथ मेरे,
सूनापन सा लगने लगता है, जब भी दूर होते हो,
फिर भी दिल को एहसास होता है, कि तुम हो साथ मेरे,
हर एक लम्हा, हर पल गुजरता है सिर्फ तेरी यादो मे,
तेरी यादो मे खोके यूं लगता है, कि तुम हो साथ मेरे,
दिल करता है इन्तजार एक नई मुलाकात का,
हर मुलाकात से पहले लगता है कि तुम हो साथ मेरे,
क्या होता है इन राहो की दूरियों के होने से,
दिल के इतने करीब हो कि लगता है तुम हो साथ मेरे,
मेरे हर ख्वाब मे हमेशा रहती तुम हो साथ मेरे,
हर रोज दिन गुजरता है सिर्फ इसी एहसास के साथ
कि चाहे जो भी हो बात, तुम हो साथ मेरे,
इंतजार कर रहा हूँ बेसब्री से मै उस लम्हे का,
जिस लम्हे मे बस तुम ही हो साथ मेरे.....

चले आओ फिर किसी दिन

चले आओ फिर किसी दिन, मुलाकात करके देखे.
बीती हुई बातों को, फिर याद करके देखे,
कुछ गम भी भूल जाये, कुछ दूरिया भी कम हो,
एक शाम एक दूसरे के, नाम करके देखे,
चले आओ फिर किसी दिन, मुलाकात करके देखे

जो रह गई थी दिल मे, जो तुम को थी बतानी,
फिर मिले ना मिले मौका, वो बात करके देखे,
यू बातो ही बातो मे, हम कही खो जाये,
जिस बात मे वो बात हो, वो बात करके देखे
चले आओ फिर किसी दिन, मुलाकात करके देखे....

वादा करो़

खुश्बुओ की तरह मेरी हर सॉस मे
प्यार अपना बसाने का वादा करो,
रंग जितने तुम्हारी मोहब्बत के हैं
मेरे दिल मे सजाने का वादा करो़..

है तुम्हारी वफाओं पे मुझको यकीन,
फिर भी दिल चाहता है मेरे दिल नशीन
यूही मेरी तसल्ली की खातिर जरा
मुझको अपना बनाने का वादा करो..

जब मोहब्बत का इकरार करते हो तुम
धडकन मे नया रंग भरते हो तुम,
पहले भी कर चुके हो मगर आज फिर
मुझको अपनाने का वादा करो..

सिर्फ लफ्जो से इकरार होता नही,
हर एक से प्यार होता नही,
मै तुम्हे याद रखने की खाऊ कसम
तुम मुझको ना भुलाने का वादा करो...

बुधवार, 2 मई 2012

तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

ओ कल्पव्रक्ष की सोनजुही..
ओ अमलताश की अमलकली.
धरती के आतप से जलते..
मन पर छाई निर्मल बदली..
मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा.
तुम कल्पव्रक्ष का फूल और
मैं धरती का अदना गायक
तुम जीवन के उपभोग योग्य
मैं नहीं स्वयं अपने लायक
तुम नहीं अधूरी गजल सुभे
तुम शाम गान सी पावन हो
हिम शिखरों पर सहसा कौंधी
बिजुरी सी तुम मनभावन हो.
इसलिये व्यर्थ शब्दों वाला व्यापार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
तुम जिस शय्या पर शयन करो
वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो
जिस आँगन की हो मौलश्री
वह आँगन क्या व्रन्दावन हो
जिन अधरों का चुम्बन पाओ
वे अधर नहीं गंगातट हों
जिसकी छाया बन साथ रहो
वह व्यक्ति नहीं वंशीवट हो
पर मैं वट जैसा सघन छाँह विस्तार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
मै तुमको चाँद सितारों का
सौंपू उपहार भला कैसे
मैं यायावर बंजारा साँधू
सुर श्रंगार भला कैसे
मैन जीवन के प्रश्नों से नाता तोड तुम्हारे साथ सुभे
बारूद बिछी धरती पर कर लूँ दो पल प्यार भला कैसे
इसलिये विवष हर आँसू को सत्कार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा