गुरुवार, 21 जून 2012

वही प्यार है....


जब दो दिल मिलके एक हो जाये,
दो नैना लड़ के चार हो जाये,
लफ्जो में जो ना हो बयां, वही प्यार है...

दीदार किसी का होता रहे,
बार-बार जब दिल ये कहे,
न कर पाए जब दिल की बात बयां, वही प्यार है...

गाना गुनगुनाने को जी करे,
हर पल मुस्कुराने को जी करे,
जब है ये मन झूम सा गया, वही प्यार है...

धड़कने जब किसी की धुन गए,
सांसे किसी के लिए बहक सी जाये,
दिल किसी के लिए जो थम सा गया, वही प्यार है...

किसी की बातो में खोने को जी करे,
किसी से बार-बार मिलने को जी करे,
लगे प्यारी जब किसी की हया, वही प्यार है...

किसी की सांसो में समाने को जी करे,
किसी की आँखों में खो जाने को जी करे,
किसी की अदा में जब मन खो गया, वही प्यार है...

ख्वाबो खयालो  में जब किसी का चेहरा आये,
जब किसी के बारे में सोचते हुए दिन गुजर जाये,
जब किसी पर सब कुछ कुर्बान हो गया, वही प्यार है...

किसी के पास आते ही धड़कने बढ जाये,
जब किसी की बाहों में संसार नजर आये,
प्यार में किसी के जब दिल काहिल हो गया, वही प्यार है...

जब किसी की दूरी बर्दास्त न हो,
दो घडी जब कभी बात ना हो,
किसी की खातिर जब ये दिल बेचैन हो गया, वही प्यार है...

जिस शब्द को अक्षरों के कुछ मेल,
 चाहे हो व्याकरण के कुछ खेल,
कर ना पाए कभी भी बयां, वही प्यार है....

शनिवार, 16 जून 2012

खिलखिलाना चाहता हूँ.....

अपने मन की उड़ानों से, आसमान छूने को जी करता है।
पर उन्ही ऊँचाइयों को सोच कर, जाने क्यों ये दिल डरता है।
हर पल दिखते अंधियारे से, मन बहुत घबराता है।
क्या पाना है और क्या खोना, बस यही सोचता रह जाता है।
अपने अन्दर डूब के मैं, खुद को खुद में ढूँढता हूँ।
ढून्ढ नही पाता फिर भी, जाने क्यू यू टूटता हूँ।
खो रहा हूँ जाने कही, इस जिंदगी की राहों  में।
अपने वो हसने की आदत, जाने क्यू मैं भूलता हूँ।
जीवन मेरा सीधा सा, क्यों चिंता में यू  बीत रहा।
घर की उल्झन मन की उल्झन, दम क्यू  मेरा घुट रहा।
जीवन की हर उलझन से मैं, मुक्ति पाना चाहता हूँ।
एक बार जी खोल के मैं, खिलखिलाना चाहता हूँ.....

रविवार, 10 जून 2012

खयाल

खयालो के बादल में एक अजीब सी  उलझन छाई है,
क्या बताऊ यारो किसी की याद इतनी  आई है ,
लम्हे नहीं गुजरते बिना किसीके दीदार के 
धड़कन ने भी अब तो धुन उसी की गाई  है,
हर लफ्ज होठो का सिर्फ नाम उसी का आता है,
ऐसा लगता है जैसे मेरी जान निकल आई है,
तू जहाँ भी है मुझे याद कर रहा है,
दिल की धड़कन इस बात का पैगाम लायी है,
तुझ तक पहुँच जाये मेरे दिल की आवाज,
बस मेरे दिल ने  से यही दुआ मनाई है...

शनिवार, 2 जून 2012

तुम नजर आते हो

लम्हे गुजरते है बस तेरे इंतजार मे,
हर पल तुम याद बहुत आते हो,
कब तक समझाउ इस पागल दिल को,
क्यूं दूर बहुत हो जाते हो,
लिखू क्या अपने दिल का हाल
इस छोटे कागज के टुकडे मे,
तुम कितना मुझे तडपाती हो,
तरस जाता हूँ एक मुलाकात को
और तुम अपनी आवाज के लिए तरसाते हो,
बता देते अगर हाल अपना मुझे,
तो मिल जाता सुकून दिल को,
पर जाने क्या मजबूरी है
जो दिल मेरा जलाते हो,
वैसे तो हर रात सपनो मे संग मेरे,
हसीन लम्हे बिताये,
पर जाने क्यूं सामने आने का मौका
नही दे पाते हो,
न कोई खबर तेरी, न कोई आहट
मेरे दिल की बेचैनी को और क्यू बढाते हो,
जब भी आती है याद बहुत,
आखो से आसू छलक जाते है,
और हर आसू की बूँद मे मुझे बस
तुम नजर आते हो.....
"कलरव ने सूनापन सौंपा ,मुझको अभाव से भाव मिले,
पीडाऒं से मुस्कान मिली हँसते फूलों से घाव मिले,
सरिताऒं की मन्थर गति मे मैने आशा का गीत सुना,
शैलों पर झरते मेघों में मैने जीवन-संगीत सुना,
पीडा की इस मधुशाला में,आँसू की खारी हाला में,
तन-मन जो आज डुबो देगा,वह ही युग का मीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है,तब तक मुझको जीना होगा ....."