हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे,
हम खुद में कितना उतरे, हम खुद में कितना झांके,
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे..
हर बार यही लगता है, अब कुछ भी याद नहीं है,
हर बार गुमा होता है, कोई फैयाद नहीं है,
हर बार उम्मीदों वाली, सुबह आकार कहती है,
तुमसे बाहर आने में, अब कोई विवाद नहीं है,
पर कभी फूट पड़ती है, आँखों के सूखे जल में,
हर बार तुम्हारी कोमल, हर बार तुम्हारी शाखे,
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे.
हर बार हमी ने गाया दुनिया का दर्द कुवारा,
हर बार पिया है हस कर आसू का सागर सारा,
थक कर सोये है जब जब नींदों की हदबंदी में,
हर बार छलक जाता है आँखों से ख्वाब तुम्हारा,
मन पाखी ने जब चाहा इच्छा का अम्बर छूना,
हर बार उड़ाने उमड़ी हर बार कटी है पाखे,
हर बार तुम्हारा चेहरा हर बार तुम्हारी आंखे........
हर बार हमी ने गाया दुनिया का दर्द कुवारा,
हर बार पिया है हस कर आसू का सागर सारा,
थक कर सोये है जब जब नींदों की हदबंदी में,
हर बार छलक जाता है आँखों से ख्वाब तुम्हारा,
मन पाखी ने जब चाहा इच्छा का अम्बर छूना,
हर बार उड़ाने उमड़ी हर बार कटी है पाखे,
हर बार तुम्हारा चेहरा हर बार तुम्हारी आंखे........
- डा ० कुमार विश्वास