गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो....


शोहरत न अता करना मौला, दौलत न अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे, जन्नत न अता करना मौला,
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब, कुर्बान पतंगा हो.
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो......

बस एक सदा ही सुने सदा, बर्फीली मस्त हवाओ में,
बस एक दुआ ही उठे सदा, जलते तपते सहराओ में,
जीते जी इसका मान रखे, मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहे कभी न रहे मगर, इसकी सजधज आबाद रहे.
गोधरा न हो, गुजरात न हो इंसान न नंगा हो,
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो.......

गीता का ज्ञान सुने न सुने, इस धरती का यशगान सुने,
हम सबद-कीर्तन सुन न सके, भारत माँ का जयगान सुने,
परवरदिगार मैं तेरे द्वार पर ले पुकार ये कहता हूँ
चाहे अजान न सुने कान, पर जय-जय हिन्दुस्तान सुने
जन-मन में उत्छल देशप्रेम का जलधि तरंगा हो
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो.......
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो...............

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