अजीब दास्ताँ होती है दोस्ती की,
लड़ना मिलने से भी अच्छा लगता है,
लड़के मनाने वाले भी होते है,
तो कुछ को सताना अच्छा लगता है,
दोस्त के मुह से कुछ सुनने के लिए
कभी झुक जाना भी अच्छा लगता है,
सफ़र ट्रेन का हो या ज़िन्दगी का,
ख़तम ही नहीं होती बातें,
फिर भी खामोश रहकर मुस्कुराना अच्छा लगता है
शर्त जितने के लिए जी जान लगा देना
फिर जान बुझाकर हार जाना अच्छा लगता है,
दोस्त की खातिर पूरी दुनिया से भिड़ जाना
और फिर उसकी गर्ल / बॉय फ्रेंड के सामने
उसको फ़साना अच्छा लगता है
चार दोस्तों में लगता है
मिल गयी पूरी दुनिया
बाकी साब भूल जाना अच्छा लगता है
-----FOR MY FRIENDS----
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