(तर्ज- श्याम तेरी बन्सी पुकारे राधा नाम)
सुनो एक मालिक की हम दो सन्तान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...
एक जाये गंगा मे डुबकी लगाये,
एक जाये मक्का से जमजम ले आये,
एक के है राम, दुजे के रहमान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...
एक जाये माता को चुनरी ओढाये,
दुजा जाये बाबा को चादर चढाये,
एक के नवरात्रे, दुजे के रमजान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...
एक जाये मस्जिद और दुजा शिवालै,
यहाँ सर झुकाले या वहाँ सर झुकाले,
एक का है गीता, दुजे का कुरान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...
सुनो एक मालिक की हम दो सन्तान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान....
~रवीन्द्र कुमार शर्मा (लखनऊ)~
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