सोमवार, 20 सितंबर 2010

ज़िन्दगी


फूलों की खुसबू ही नहीं, काँटों की चुभन भी है ज़िन्दगी !
सुबह का उजाला ही नहीं, रात का अँधेरा भी है ज़िन्दगी !
ख़ुशी का अरमा ही नहीं, गम की ग़ज़ल भी है ज़िन्दगी !
जवानी की बहार ही नहीं, बुढ़ापे की पतझड़ भी है ज़िन्दगी !
अमीरों की हवेली ही नहीं, गरीबों की झोपड़ी भी है ज़िन्दगी !
अरमानो का महल ही नहीं, सैन हकीकत है ज़िन्दगी !!



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