रविवार, 3 अप्रैल 2011

मेरी ज़िन्दगी


भगवान भी क्या सितम ढाता है,
कभी देता है गम ज़िन्दगी में
तो कभी इसे खुशियों से सजाता है.
समझ नहीं आता क्या करू कैसे अपने को समझाऊ.
रोना आता है गम में, रोऊ या खुशिया याद कर मुस्कुराऊ.
ज़िन्दगी की इस उलझन में ऐसे उलझ बैठा हू,
खुशियों को भी अपनी गलती से गम में बदल बैठा हू.
हर सुबह उठते ही लगता है खुशियों का नया सबेरा,
शाम ढलते ढलते हो जाता है गम का बसेरा.
वैसे तो सब ने मुझे हमेशा हसते हुए देखा,
कितना गम है इस मुस्कराहट में किसी ने न देखा.
इन सब के बाद भी खुदा का शुक्रिया अदा करता हू,
और गम दे मुझे इस बात की दुआ करता हू.
ज़िन्दगी में और गम इसलिए लाना चाहता हू,
दिल में छुपे आसुओं को आखों से बहाना चाहता हू.
खुशियों का मोल मुझे सिर्फ तभी होता है,
जब कभी मेरा दिल गम में रोता है.
चाहता हू ज़िन्दगी में अपनी कुछ करना,
नहीं है पसंद मुझे यु घुट घुट के मरना.
हो एक दिन मेरा नाम इस दुनिया में ऐसे,
लोग याद करे मुझे अपने चाहने वालो जैसे.
सिर्फ दुआ चाहिए आप सबकी की ज़िन्दगी में कुछ बन पाऊ,
अपने साथ मम्मी पापा का भी नाम अमर कर जाऊ.
अपने साथ मम्मी पापा का भी नाम अमर कर जाऊ...... 

ONE POEM FROM MY HEART AND PEN


~~~~~~~~~~~~~~~JUST FOR SOMEONE~~~~~~~~~~~~~~~
आज इस दिल में बेचैनी क्यों छाई है,
 धड़कने तेरी यादों के पैगाम लायी है.
क्या तुम भी याद करती हो मुझे इस तरह, 
मैं याद कर रहा हूँ तुम्हे जिस तरह.
क्यों मेरे जिस्म में अजीब सी सिरहन छाई है,
 शायद इसलिए क्यूंकि तेरी यादे हर जगह समाई है.
क्यों हर लम्हा मुझे लगाती है तेरी जरुरत,
 तुम्हे पता है इस दिल के हर कोने में है तेरी ही हुकूमत.
धड़कन हो गयी तेज़ इस हवा से भी,
 यादे है गहरी इस सागर से भी.
शायद कभी कल हमारा मिलना ना हो, 
लेकिन यादो का ये सिलसिला कभी धुंधला ना हो.
क्यों मैने तेरे लिए कागज कलम उठाया,
 क्यों तेरी यादो ने मुझे इतना सताया.
आज मैने फिर अपने दिल की बातों को कलम से उतारा है, 
सिर्फ मेरे उस दोस्त के लिए जो मुझे मुझसे भी प्यारा है.
सिर्फ मेरे उस दोस्त के लिए जो मुझे मुझसे भी प्यारा है.......
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~LOVE YOU~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

खुशियाँ और गम (I wrote this from my heart "sacchi")

ज़िन्दगी में माना बहुत है गम,
 लेकिन खुशिया भी नहीं है कम.

तोलो कभी इन्हें दिल के तराजू में, 
बराबर पाओगे दोनों बाजू में.

जब भी आये गम तेरे सामने, 
खुशिया खड़ी कर दो उसके आमने.

ऐसी होती है खुशिया कि गम भी मुस्कुराएगा,
 आँखों से छलकता आंसू वही रुक जायेगा.
मोती के सामान है तेरे आसू का एक कतरा.
यु ही ना बहा इसे हमेशा तू मुस्कुरा.

अगर ना होता ज़िन्दगी में कभी गम,
तो खुशियों को कोई मोल ना देते हम.
ख़ुशी और गम है ज़िन्दगी के दो पहिये,
लेकिन गुज़ारिश है आप हमेशा खुश रहिये.

हम याद करते है भगवान को जब हो गम का तमाशा,
लेकिन भूल जाते है खुशियों में उसे हमेशा.
हमेशा उसे खुशियों में धन्यवाद् कहना,
वो तेरे दामन को खुशियों से ना भर दे तो कहना.


ज़िन्दगी जीने का ये अंदाज़
मैंने अपनाया अब आप भी अपनाओ,
ख़ुशी हो या गम आप सदा मुस्कुराओ
ख़ुशी हो या गम आप सदा मुस्कुराओ....