रविवार, 12 अगस्त 2012

खुद को एक बार बदल डाला है...

एक मुस्कान सी होंठो पे सजा के,
हर बात को अपने दिल में छिपा के के,
मेने खुद को एक बार बदल डाला है...
कुछ यादों को दिल में बसा के के,
एक टीस को मन में दबा के,
मेने खुद को एक बार बदल डाला है...
एक आस सी कोई दिल में छिपी है,
एक प्यास सी कोई दिल में रुकी है,
सब कुछ यूहीं भुला के,
मेने खुद को बदल डाला है......

गुरुवार, 21 जून 2012

वही प्यार है....


जब दो दिल मिलके एक हो जाये,
दो नैना लड़ के चार हो जाये,
लफ्जो में जो ना हो बयां, वही प्यार है...

दीदार किसी का होता रहे,
बार-बार जब दिल ये कहे,
न कर पाए जब दिल की बात बयां, वही प्यार है...

गाना गुनगुनाने को जी करे,
हर पल मुस्कुराने को जी करे,
जब है ये मन झूम सा गया, वही प्यार है...

धड़कने जब किसी की धुन गए,
सांसे किसी के लिए बहक सी जाये,
दिल किसी के लिए जो थम सा गया, वही प्यार है...

किसी की बातो में खोने को जी करे,
किसी से बार-बार मिलने को जी करे,
लगे प्यारी जब किसी की हया, वही प्यार है...

किसी की सांसो में समाने को जी करे,
किसी की आँखों में खो जाने को जी करे,
किसी की अदा में जब मन खो गया, वही प्यार है...

ख्वाबो खयालो  में जब किसी का चेहरा आये,
जब किसी के बारे में सोचते हुए दिन गुजर जाये,
जब किसी पर सब कुछ कुर्बान हो गया, वही प्यार है...

किसी के पास आते ही धड़कने बढ जाये,
जब किसी की बाहों में संसार नजर आये,
प्यार में किसी के जब दिल काहिल हो गया, वही प्यार है...

जब किसी की दूरी बर्दास्त न हो,
दो घडी जब कभी बात ना हो,
किसी की खातिर जब ये दिल बेचैन हो गया, वही प्यार है...

जिस शब्द को अक्षरों के कुछ मेल,
 चाहे हो व्याकरण के कुछ खेल,
कर ना पाए कभी भी बयां, वही प्यार है....

शनिवार, 16 जून 2012

खिलखिलाना चाहता हूँ.....

अपने मन की उड़ानों से, आसमान छूने को जी करता है।
पर उन्ही ऊँचाइयों को सोच कर, जाने क्यों ये दिल डरता है।
हर पल दिखते अंधियारे से, मन बहुत घबराता है।
क्या पाना है और क्या खोना, बस यही सोचता रह जाता है।
अपने अन्दर डूब के मैं, खुद को खुद में ढूँढता हूँ।
ढून्ढ नही पाता फिर भी, जाने क्यू यू टूटता हूँ।
खो रहा हूँ जाने कही, इस जिंदगी की राहों  में।
अपने वो हसने की आदत, जाने क्यू मैं भूलता हूँ।
जीवन मेरा सीधा सा, क्यों चिंता में यू  बीत रहा।
घर की उल्झन मन की उल्झन, दम क्यू  मेरा घुट रहा।
जीवन की हर उलझन से मैं, मुक्ति पाना चाहता हूँ।
एक बार जी खोल के मैं, खिलखिलाना चाहता हूँ.....

रविवार, 10 जून 2012

खयाल

खयालो के बादल में एक अजीब सी  उलझन छाई है,
क्या बताऊ यारो किसी की याद इतनी  आई है ,
लम्हे नहीं गुजरते बिना किसीके दीदार के 
धड़कन ने भी अब तो धुन उसी की गाई  है,
हर लफ्ज होठो का सिर्फ नाम उसी का आता है,
ऐसा लगता है जैसे मेरी जान निकल आई है,
तू जहाँ भी है मुझे याद कर रहा है,
दिल की धड़कन इस बात का पैगाम लायी है,
तुझ तक पहुँच जाये मेरे दिल की आवाज,
बस मेरे दिल ने  से यही दुआ मनाई है...

शनिवार, 2 जून 2012

तुम नजर आते हो

लम्हे गुजरते है बस तेरे इंतजार मे,
हर पल तुम याद बहुत आते हो,
कब तक समझाउ इस पागल दिल को,
क्यूं दूर बहुत हो जाते हो,
लिखू क्या अपने दिल का हाल
इस छोटे कागज के टुकडे मे,
तुम कितना मुझे तडपाती हो,
तरस जाता हूँ एक मुलाकात को
और तुम अपनी आवाज के लिए तरसाते हो,
बता देते अगर हाल अपना मुझे,
तो मिल जाता सुकून दिल को,
पर जाने क्या मजबूरी है
जो दिल मेरा जलाते हो,
वैसे तो हर रात सपनो मे संग मेरे,
हसीन लम्हे बिताये,
पर जाने क्यूं सामने आने का मौका
नही दे पाते हो,
न कोई खबर तेरी, न कोई आहट
मेरे दिल की बेचैनी को और क्यू बढाते हो,
जब भी आती है याद बहुत,
आखो से आसू छलक जाते है,
और हर आसू की बूँद मे मुझे बस
तुम नजर आते हो.....
"कलरव ने सूनापन सौंपा ,मुझको अभाव से भाव मिले,
पीडाऒं से मुस्कान मिली हँसते फूलों से घाव मिले,
सरिताऒं की मन्थर गति मे मैने आशा का गीत सुना,
शैलों पर झरते मेघों में मैने जीवन-संगीत सुना,
पीडा की इस मधुशाला में,आँसू की खारी हाला में,
तन-मन जो आज डुबो देगा,वह ही युग का मीना होगा
मै कवि हूँ जब तक पीडा है,तब तक मुझको जीना होगा ....."

बुधवार, 30 मई 2012

एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान....

(तर्ज- श्याम तेरी बन्सी पुकारे राधा नाम)

सुनो एक मालिक की हम दो सन्तान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

एक जाये गंगा मे डुबकी लगाये,
एक जाये मक्का से जमजम ले आये,
एक के है राम, दुजे के रहमान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

एक जाये माता को चुनरी ओढाये,
दुजा जाये बाबा को चादर चढाये,
एक के नवरात्रे, दुजे के रमजान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

एक जाये मस्जिद और दुजा शिवालै,
यहाँ सर झुकाले या वहाँ सर झुकाले,
एक का है गीता, दुजे का कुरान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान...

सुनो एक मालिक की हम दो सन्तान,
एक बना हिन्दू, और एक मुसलमान....

~रवीन्द्र कुमार शर्मा (लखनऊ)~

प्यार हो जाये तो क्या करे....

दिल पर नही होता काबू किसीका
दिल खो जाये तो क्या करे
धीमे से कोई जादू चल जाये
और प्यार हो जाये तो क्या करे..

हौले हौले मद्धम मद्धम
चाहतो के सिलसिले शुरु होते है
इस चाहत को जो कोई रोक ना पाये
और प्यार हो जाये तो क्या करे....

कहते है लोग कि प्यार ना करना
प्यार मे लोग दीवाने हो जाते है
लेकिन ये दीवानगी ही जो लुभाने लगे
और प्यार हो जाये तो क्या करे...

मदहोशी में दिल को पाया
और दवा ना कोई काम आयी
लेकिन मदहोशी को जो मन्जिल समझे
और प्यार हो जाये तो क्या करे...

दिल के दरवाजे बन्द किये है
कि दिल मे ना कोई बस जाये
लेकिन ये दिल ही जो ना रहे अपना
और प्यार हो जाये तो क्या करे...

समझे तो है बहुत कुछ समझना
लेकिन जज्बातों की है कहा वजह कोई
बेवजह जो कोई भाने लगे
और प्यार हो जाये तो क्या करे....

दुआ तो हम भी कर सकते है
कि प्यार नही करेगे हम
पर प्यार पर कहा चलता है जोर किसिका
जो प्यार हो जाये तो क्या करे....

चलिये, प्यार से बेखबर हो जाते है हम
प्यार नही हमें ये सोच लेते है हम
लेकिन गर प्यार बसा रहे इस दिल एत
तो इस प्यार का हम क्या करे....

भूलने को तो हम प्यार को भूल जाये
प्यार के साथ देखे हर ख्वाब को भूल जाये
लेकिन दिल पर कहा चलता है जोर किसीका
इस दिल का कहो हम क्या करे...

दिल पर नही चलता जोर किसीका
दिल खो गया हमारा अब हम क्या करे
धीमे से कोई जादू चल गया
और प्यार हो गया अब हम क्या करे.........?

बुधवार, 23 मई 2012

पगली लड़की



अमावास की काली रातों में दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की प्याली रातों में गम आंसूं के संग होते हैं,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं,
जब घड़ियाँ टिक-टिक चलती हैं, सब सोते हैं, हम रोते हैं,
जब बार बार दोहराने से साड़ी यादें चुक जाती हैं,
जब ऊँच-नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती हैं,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है.

जब पोथे खली होते हैं, जब हर सवाली होते हैं,
जब ग़ज़लें रास नहीं आतीं, अफसाने गाली होते हैं.
जब बासी फीकी धुप समेटें दिन जल्दी ढल जाता है,
जब सूरज का लश्कर छत से गलियों में देर से जाता है,
जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट  जाती है,
जब कॉलेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है,
जब बेमन से खाना खाने पर माँ  गुस्सा हो जाती है,
जब लाख मन करने  पर भी पारो पढने आ जाती है,
जब अपना मनचाहा हर काम कोई लाचारी लगता है,

तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है....


जब कमरे मे सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है,
जब दर्पण मे आँखो के नीचे झॉई दिखाई देती है,
जब बडकी भाभी कहती है, कुछ सेहत का भी ध्यान करो
क्या लिखते हो दिनभर, कुछ सपनो का सम्मान करो,
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते है,
जब बाबा हमें बुलाते है, हम जाते है, घबराते है,
जब साडी पहने लडकी का एक फोटो लाया जाता है,
जब भाभी हमे मनाती है, फोटो दिखलाया जाता है,
जब सारे घर का समझाना हमको फनकारी लगता है,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है....


दीदी कहती है उस पगली लडकी की कुछ औकात नही,
उसके दिल मे भैया तेरे जैसे प्यारे जज्बात नही,
वो पगली लडकी नौ दिन मेरे खातिर भूखी रहती है,
छुप–छुप सारे व्रत करती है, पर मुझसे कभी ना कहती है,
जो पगली लडकी कहती है, मै प्यार तुम्ही से करती हूँ,
लेकिन हूँ मजबूर बहुत, अम्मा–बाबा से डरती हूँ,
उस पगली लडकी पर अपना कुछ अधिकार नही बाबा,
ये कथा–कहानी किस्से है, कुछ भी तो सार नही बाब,
बस उस पगली लडकी के संग जीना फुलवारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है.

~ Dr. Kumar Vishwas ~

प्यार किसी से करती थी...!!

ख्वाबों की एक बस्ती थी
एक लडकी उसमें रहती थी...!!

अपने घर के आगन मे
कुछ सपने बोया करती थी...!!

अपने कमरे की खिडकी मे
बूँदों से खेला करती थी...!!

सबके सामने हसती थी और
चुप चुप के रोया करती थी...!!

चॉद को कही देर तक
वो अक्सर घूरा करती थी...!!

देखने वाली सब ऑखो को
कॉच की गुडिया लगती थीं...!!

टूट गयी तो सब ने जाना
वो पगली, प्यार किसी से करती थी...!!

तुम


मेरे दिल मे बसी एक हसरत हो तुम
मेरी ऑखों को मिली शरारत हो तुम,

देखूँ तुम्हे तो पालूँ मै ये दुनिया,
ना मिलो तो मिलने की बगावत हो तुम,

तुम्हारी खामोशी कह जाती है कई बातें
जिसे याद करता है दिल कई रातें,

तुम्हारे नन्हे नन्हे से हाथ और बडी बडी बातें
याद रह जाती है तुमसे हुई मुलाकातें,

उम्मीद हो हमारी आनेवाला कल हो तुम,
हमारे दिल मे बसी मोहब्बत हो तुम.....

शुक्रवार, 18 मई 2012

तुम साथ हो मेरे

तन्हा बैठा यूं सोचता हूँ मै, काश के तुम हो साथ मेरे,
दुनिया ये हसीन लगती है, जब भी तुम हो साथ मेरे,
सूनापन सा लगने लगता है, जब भी दूर होते हो,
फिर भी दिल को एहसास होता है, कि तुम हो साथ मेरे,
हर एक लम्हा, हर पल गुजरता है सिर्फ तेरी यादो मे,
तेरी यादो मे खोके यूं लगता है, कि तुम हो साथ मेरे,
दिल करता है इन्तजार एक नई मुलाकात का,
हर मुलाकात से पहले लगता है कि तुम हो साथ मेरे,
क्या होता है इन राहो की दूरियों के होने से,
दिल के इतने करीब हो कि लगता है तुम हो साथ मेरे,
मेरे हर ख्वाब मे हमेशा रहती तुम हो साथ मेरे,
हर रोज दिन गुजरता है सिर्फ इसी एहसास के साथ
कि चाहे जो भी हो बात, तुम हो साथ मेरे,
इंतजार कर रहा हूँ बेसब्री से मै उस लम्हे का,
जिस लम्हे मे बस तुम ही हो साथ मेरे.....

चले आओ फिर किसी दिन

चले आओ फिर किसी दिन, मुलाकात करके देखे.
बीती हुई बातों को, फिर याद करके देखे,
कुछ गम भी भूल जाये, कुछ दूरिया भी कम हो,
एक शाम एक दूसरे के, नाम करके देखे,
चले आओ फिर किसी दिन, मुलाकात करके देखे

जो रह गई थी दिल मे, जो तुम को थी बतानी,
फिर मिले ना मिले मौका, वो बात करके देखे,
यू बातो ही बातो मे, हम कही खो जाये,
जिस बात मे वो बात हो, वो बात करके देखे
चले आओ फिर किसी दिन, मुलाकात करके देखे....

वादा करो़

खुश्बुओ की तरह मेरी हर सॉस मे
प्यार अपना बसाने का वादा करो,
रंग जितने तुम्हारी मोहब्बत के हैं
मेरे दिल मे सजाने का वादा करो़..

है तुम्हारी वफाओं पे मुझको यकीन,
फिर भी दिल चाहता है मेरे दिल नशीन
यूही मेरी तसल्ली की खातिर जरा
मुझको अपना बनाने का वादा करो..

जब मोहब्बत का इकरार करते हो तुम
धडकन मे नया रंग भरते हो तुम,
पहले भी कर चुके हो मगर आज फिर
मुझको अपनाने का वादा करो..

सिर्फ लफ्जो से इकरार होता नही,
हर एक से प्यार होता नही,
मै तुम्हे याद रखने की खाऊ कसम
तुम मुझको ना भुलाने का वादा करो...

बुधवार, 2 मई 2012

तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

ओ कल्पव्रक्ष की सोनजुही..
ओ अमलताश की अमलकली.
धरती के आतप से जलते..
मन पर छाई निर्मल बदली..
मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा.
तुम कल्पव्रक्ष का फूल और
मैं धरती का अदना गायक
तुम जीवन के उपभोग योग्य
मैं नहीं स्वयं अपने लायक
तुम नहीं अधूरी गजल सुभे
तुम शाम गान सी पावन हो
हिम शिखरों पर सहसा कौंधी
बिजुरी सी तुम मनभावन हो.
इसलिये व्यर्थ शब्दों वाला व्यापार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
तुम जिस शय्या पर शयन करो
वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो
जिस आँगन की हो मौलश्री
वह आँगन क्या व्रन्दावन हो
जिन अधरों का चुम्बन पाओ
वे अधर नहीं गंगातट हों
जिसकी छाया बन साथ रहो
वह व्यक्ति नहीं वंशीवट हो
पर मैं वट जैसा सघन छाँह विस्तार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
मै तुमको चाँद सितारों का
सौंपू उपहार भला कैसे
मैं यायावर बंजारा साँधू
सुर श्रंगार भला कैसे
मैन जीवन के प्रश्नों से नाता तोड तुम्हारे साथ सुभे
बारूद बिछी धरती पर कर लूँ दो पल प्यार भला कैसे
इसलिये विवष हर आँसू को सत्कार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा
तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे


हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे,
हम खुद में कितना उतरे, हम खुद में कितना झांके,
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे..
हर बार यही लगता है, अब कुछ भी याद नहीं है,
हर बार गुमा होता है, कोई फैयाद नहीं है,
हर बार उम्मीदों वाली, सुबह आकार कहती है,
तुमसे बाहर आने में, अब कोई विवाद नहीं है,
पर कभी फूट पड़ती है, आँखों के सूखे जल में,
हर बार तुम्हारी कोमल, हर बार तुम्हारी शाखे,
हर बार तुम्हारा चेहरा, हर बार तुम्हारी आंखे.
हर बार हमी ने गाया दुनिया का दर्द कुवारा,
हर बार पिया है हस कर आसू का सागर सारा,
थक कर सोये है जब जब नींदों की हदबंदी में,
हर बार छलक जाता है आँखों से ख्वाब तुम्हारा,
मन पाखी ने जब चाहा इच्छा का अम्बर छूना,
हर बार उड़ाने उमड़ी हर बार कटी है पाखे,
हर बार तुम्हारा चेहरा हर बार तुम्हारी आंखे........
- डा ०  कुमार  विश्वास   

होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो....


शोहरत न अता करना मौला, दौलत न अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे, जन्नत न अता करना मौला,
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब, कुर्बान पतंगा हो.
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो......

बस एक सदा ही सुने सदा, बर्फीली मस्त हवाओ में,
बस एक दुआ ही उठे सदा, जलते तपते सहराओ में,
जीते जी इसका मान रखे, मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहे कभी न रहे मगर, इसकी सजधज आबाद रहे.
गोधरा न हो, गुजरात न हो इंसान न नंगा हो,
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो.......

गीता का ज्ञान सुने न सुने, इस धरती का यशगान सुने,
हम सबद-कीर्तन सुन न सके, भारत माँ का जयगान सुने,
परवरदिगार मैं तेरे द्वार पर ले पुकार ये कहता हूँ
चाहे अजान न सुने कान, पर जय-जय हिन्दुस्तान सुने
जन-मन में उत्छल देशप्रेम का जलधि तरंगा हो
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो.......
होठो पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो...............

शनिवार, 3 मार्च 2012

♥~~MY YARA G~~♥

‎जिस घड़ी उसको मेरे रब ने बनाया होगा ,
उसका सिंगार फरिस्तो से कराया होगा ,
उसकी जुल्फों को घटाओ में भिगोया होगा ,
उसकी आँखों को झीलों सा गहरा बनाया होगा ,
उसके होंठो पर गुलाबो को निचोड़ा होगा ,
चाँद के नूर से उसको नहलाया होगा ,
सारी परियो ने मिलके उसको सजाया होगा ,
सारी कलियों का तसव्वुर उसको बक्शा होगा ,
कोयल का कर्नुर उसको सौपा होगा ,
उसकी पलकों पर सितारों को सजाकर ,
रब ने सारी दुनिया से जुदा बनाकर ,
हुस्न का नाम किताबो से मिटाया होगा....

Aaj Kuch To Faisla Kar

Aaj Kuch To Faisla Kar
Jeene De Mujhe Apne Saath
Ya Phir Mujhe Khud Se Juda Kar,

Bebasi Ki Zindagi Na Mujhe Manzoor Hai Na Tujhe
Phir Chup Se Kyon Rehte Ho,
Kuch To Kehne Ka Hausla Kar
Aaj Kuch To Faisla Kar,

Manzil Jab Dono Ki Ek Hi Thi To,
Alag-Alag Raahon... Par Aakhir Kyon Chal Pade,
Jo Hua So Hua,Ab Chal Saath Mere
Dono Ki Ab Ek Hi Zameen-Aasman Kar
Aaj Kuch To Faisla Kar,

Jahan Rukh Jaayenge Safar Mein
Usse Hi Apni Manzil Samaj Lenge
Ab 'Khwaish" Se Na Koi Faasla Kar,

Jaanta Hoon Is Duniya Mein
Phoolon Ki Kadar Bahut Hai Par
Kabhi To Kaanto Se Bhi Pyaar Kar
Aaj Kuch To Faisla Kar,

Har Shaks Ki Apni Apni Nazar, Apni Apni Soch Hai
Kaun Kya Sochega?
Aisi Baaton Se Khud Ko Na Yuh Bezaar Kar
Aaj Kuch To Faisla Kar,

Zindagi Ki Raahon Mein Bahut Se Log Milenge Tujhe
Par Kya Koi Humsa Mil Paayega?
Aaj Apne Dil Se Yeh Sawaal Kar,

Jeene De Mujhe Apne Saath
Ya Phir Mujhe Khud Se Juda Kar
Par Aaj Kuch To Faisla kar....!

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

दोस्ती


दोस्ती की किसी से, एक अच्छा दोस्त बनाया ,

लेकिन उस दोस्त को न जाने में क्यों रास न आया.

भूल गया हसाए हुए मेरे उन लम्हों को,

मेरी दोस्ती को क्यों न समझ वो पाया.

कहते है दोस्त ही दोस्त को समझ सकता है,

दर्द अपने दिल का share कर सकता है.

अपने दोस्त की हर मजबूरी को समझ के वो,

उसकी हर बात पे वो मर सकता है.

दोस्ती की यही उम्मीद लेके मेने दोस्त बनाया,

न जाने वो मुझे क्यों न समझ पाया :(