बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

दोस्ती


दोस्ती की किसी से, एक अच्छा दोस्त बनाया ,

लेकिन उस दोस्त को न जाने में क्यों रास न आया.

भूल गया हसाए हुए मेरे उन लम्हों को,

मेरी दोस्ती को क्यों न समझ वो पाया.

कहते है दोस्त ही दोस्त को समझ सकता है,

दर्द अपने दिल का share कर सकता है.

अपने दोस्त की हर मजबूरी को समझ के वो,

उसकी हर बात पे वो मर सकता है.

दोस्ती की यही उम्मीद लेके मेने दोस्त बनाया,

न जाने वो मुझे क्यों न समझ पाया :(

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें